वक्त निकल जाने के बाद क़द्र की जाए तो कद्र नहीं अफ़सोस कहलाता है |
जिसके साथ अल्लाह हो, उसे कोई अफ़सोस नहीं । Ertugrul Ghazi
आप और हम सभी के अंदर एक देवताई संस्कार समाहित है,इसलिए जब कभी हम से गलती हो जाती है तो मन में अफ़सोस होता है | Bk Shivani