अफ़सोस

अफ़सोस

वक्त निकल जाने के बाद
क़द्र की जाए तो कद्र नहीं
अफ़सोस कहलाता है |

संस्कार

संस्कार

आप और हम सभी के अंदर
एक देवताई संस्कार
समाहित है,इसलिए जब कभी
हम से गलती हो जाती है
तो मन में अफ़सोस होता है |

Bk Shivani